वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा होना चाहिए घर का रंग

घर का नक्शा और दिशा तो वास्तु शास्त्र में अपना स्थान प्रबल रखते ही है पर साथ में घर में किस तरह का रंग हो और किस जगह पर कैसा रंग हो , यह भी जानना बहुत जरुरी है | रंगों के देखने से उसका प्रभाव हमारे स्वभाव पर पड़ता है | यदि हम भड़कीले रंग को ज्यादा समय तक देखते है तो मन अशांत हो जाता है , इसी के विपरीत यदि हम सौम्य और हल्के रंग को देखते है तो वे रंग हमें प्रसन्नता देते है |
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घर का मध्य भाग : घर के मध्य भाग ज्यादातर यह भाग हॉल का होता है | इस जगह को ब्रह्मा का वास बताया जाता है | इस जगह उजाला होना चाहिए और हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए |
पूजा स्थल पर रंग : घर के पूजा स्थल में ऐसा रंग होना चाहिए जो मन को शांति दे , एकाग्रता लाये | शांति और एकाग्रता पूजा के लिए जरुरी अवयव है | अत: पूजा स्थल पर आप सफ़ेद , हल्के गेरुआ , हल्के नीले रंग का प्रयोग कर सकते है |
रसोईघर का रंग : किचन हमेशा वास्तु नियमो से आग्नेय कोन में बनानी चाहिए और इस जगह के देव अग्नि है ग्रह स्वामी शुक्र है अत: किचन में हमें सफ़ेद या क्रीम रंग का प्रयोग करना चाहिए |
घर की छत का रंग : घर की छत प्रकाश की किरणों को पुनः हम तक भेजती है अत: घर की छतो का रंग भी हल्का सफ़ेद या क्रीम रंग की रखनी चाहिए |
कहने का तात्पर्य यह है की भड़कीले रंगों से दूर रखे अपने घर को , शांति देने वाले हल्के रंग घरो में काम में ले |
यह हल्के रंग सत्त्व गुण के प्रतीक है जिसमे हल्का गुलाबी , नीला ,पीला , हरा गेहुआ आदि आते है |
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