भगवान शिव से जुडी रोचक बाते और चीजे
भगवान शिव से जुडी रोचक बाते और चीजे
भगवान शिव परब्रहम है | इन्हे देवो के देव महादेव कहा जाता है | यह भोलेनाथ भी है तो क्रोध में रूद्र भी है | त्रिदेवो में शिव को संहारक माना जाता है | सभी देवी देवताओ में सबसे अलग और विचित्र तत्व शिव जी से जुड़े हुए है | कैलाश पर्वत पर बर्फीले वातावरण में अपनी तपस्या में लीन रहते है भोलनाथ | आइये यहा जाने कुछ ऐसे रोचक तत्व जो शिवजी को अन्य देवताओ से भिन्न करते है ….
* भगवान शिव के जन्म की कथा पुराणों में अलग अलग है , पर यही माना जाता है की शिव का आदि और अंत नही है | वे स्वयभू है |
* भगवान शिव के शीश पर चंद्रमा और गंगा विराजमान होकर उनके मस्तिष्क का श्रंगार करते है |
* इन्हे जीव की अंतिम गति माना जाता है , यही कारण है की इन्हे संहारक कहा गया है | अत: शिव को भस्म अत्यंत प्रिय है |
* इनके चित्रों को देखने और पुराणों में पढने से ज्ञात होता है की शिवजी भगवान बाघ की खाल पहनते है |
* शिव शंकर के गले में नरमुण्ड माला शोभायमान है , मान्यता है की यह सभी मुंड शक्ति के ही है |
* शिव ने अपने वाहन के लिए नंदी को चुन रखा है | यह नंदी पूर्व जन्म में एक शिव उपासक ऋषि ही थे | पढ़े शिव वाहन नंदी की पौराणिक कथा |
* समस्त संसार के प्रथम गुरु शिवजी ही है | इनके तंत्र , मंत्र योग , नृत्य आदि में सबसे बड़ी सत्ता मानी गयी है | तंत्र में इनकी पूजा भैरव के रूप में की जाती है | नृत्य में ये नटराज है |
* शिव को भांग धतुरा प्रिय है , इसी कारण भक्त इनकी पूजा में इन्हे यह जरुर चढाते है |
* शिव भक्ति के लिए सावन मास को सबसे अहम माना जाता है | कहते है इसी मास में पार्वती जी ने उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया था |
* शिवलिंग के रूप में शिव की मुख्य आराधना की जाती है | क्या आप जानते है की शिवलिंग की उत्पति कैसे हुई ? देवी देवताओ की खंडित मूर्ति की कभी पूजा नही की जाती , पर खंडित शिवलिंग फिर भी पूजनीय होता है | भोलेनाथ का हर शिवलिंग उनके निराकार रूप को दर्शाता है |
* कभी भी शिवलिंग की पूजा में शंख काम में नही लेना चाहिए | शिव जी ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था | आपको बता दें, शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना था |
* शिव त्रिशूल : भगवान शिव के दो मुख्य अस्त्र है , एक धनुष और दूसरा त्रिशूल | त्रिशूल के तीन शूल सत्व , रज और तम गुणों का प्रतिनित्व करते है | यह तीनो गुण सामंजस्य में रहे , इसी कारण इन्हे भगवान ने त्रिशूल में धारण कर रखा है |
* मान्यता है की यह समस्त ब्रह्माण्ड शिव और शक्ति ने मिलकर बनाया है | भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप इसी महिमा को बताता है की शिव शक्ति के बिना अधूरे है |
* शिव आभूषण : शंकर भगवान के मुख्य आभूषण नाग , मुंड माला और भस्म है | शिव के गले में जिस नाग को आप देखते है , वो शेषनाग के बाद नागों का दूसरा बड़ा राजा है | इसका नाम वासुकी है | प्रयाग में वासुकी नाग का मंदिर भी है |
*डमरू : शिव डमरूधारी है | सृष्टि में संगीत के लिए भगवान शिव ने नृत्य करते हुए चौदह बार डमरू बजाए और इस ध्वनि से संगीत के छंद , ताल का जन्म हुआ। मान्यता है कि डमरू ब्रह्म का स्वरूप है जो दूर से विस्तृत नजर आता है लेकिन जैसे-जैसे हम इसके करीब पहुंचते हैं वह संकुचित हो दूसरे सिरे से मिल जाता है और फिर विशालता की ओर बढ़ता है। सृष्टि में संतुलन के लिए इसे भी भगवान शिव अपने साथ लेकर प्रकट हुए थे।
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