कुबेर की पूजा विधि और धन प्राप्ति मंत्र जप विधि
कैसे करे कुबेर देवता की पूजा और उनके मंत्र
How To Worship of God of Wealth Kubera हिन्दू सनातन धर्म में 33 कोटि देवी देवताओ में से एक है धन के सबसे बड़े देवता कुबेर देव | इन्हे देवताओं के कोषाध्यक्ष का पद प्राप्त है । जो भक्त इनकी पूजा विधि विधान से करता है उसके लिए इनकी कृपा से धन प्राप्ति के योग बन जाते हैं। धनतेरस पर कुबेर देवता की विशेष रूप से पूजा की जाती है |
यहा हम जानेंगे की धन के अधिपति देवता कुबेर की कैसे करे पूजा | कुबेर के मुख्य मंत्र धन प्राप्ति के कौनसे है |
कुबेर पूजा विधि
किसी भी देवता की पूजा करने से पहले हमें पूजा के नियम जरुर ध्यान रखने चाहिए | इसमे ध्यान , संकल्प , आसन , धुप दीप , नैवध्य , आरती मुख्य है |
पूजन सामग्री : अक्षत , पंचामृत , रोली , मोली , चन्दन , पुष्प माला , धूप ,दीपक , पंचमेवा , इत्र सुपारी , इलायची आदि
~ एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछा ले और उस पर कुबेर देवता की प्रतिमा या फोटो रखे |
~ कुबेर देवता के रूप का ध्यान करे | मानव रूप में वे अन्न धन की वर्षा करने वाले वरमुद्रा रूप में अपने भक्तो को अपार धन दे रहे है |
~ अब सबसे पहले संकल्प ले | अपने हाथ में जल पुष्प और अक्षत ले और पूजा वाले दिन तिथि , अपना नाम बोले और कुबेर पूजन का संकल्प लेकर जल जमीन पर छोड़े |
~ अब आवाहन करे कुबेर देवता का | उन्हें अपनी पूजा में आने का निमंत्रण दे और उनसे विनती करे की आपकी पूजा स्वीकार कर आप पर कृपा करे |
~ श्रृंगार और भोग : अब कुबेर प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करा शुद्ध जल से स्नान कराये | फिर उन्हें वस्त्र पहनाये या मोली अर्पित करे | फिर उनके रोली या चन्दन का तिलक लगाये और पुष्प माला पहनाये | उनपे इत्र वर्षा करे | फिर धूप दीप प्रज्वलित करे और पंचमेवा , मिठाई अर्पित करे |
धन प्राप्ति के लिए कुबेर मंत्र
मंत्र १ : ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
विधि : दक्षिण दिशा की तरफ मुख्य करके बैठे जाये और धनलक्ष्मी कौड़ी को अपने पास रखे और तीन माह तक रोज 108 बार इस मंत्र का जप करे | यह सिद्ध हो जायेगा तो अपार धन प्राप्ति के योग बनने लगेंगे | धनलक्ष्मी कौड़ी को उस स्थान पर रखे जहा आप धन रखते है जैसे तिजोरी या अलमारी |
मंत्र 2 :ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।
कुबेर गायत्री मंत्र
ॐ यक्षा राजाया विद्महे, वैशरावनाया धीमहि, तन्नो कुबेराह प्रचोदयात्॥
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