कैसे हुआ दैत्य और राक्षसों का जन्म – जाने उत्पति की कथा
संसार में सकारात्मकता और नकारात्मकता हमेशा उसी तरह विद्यमान रही है जैसे प्रकाश के साथ अँधेरा | सुख के साथ दुःख | परोपकार के साथ कपट | ऐसे ही देवताओ के साथ राक्षस भी उत्पन्न हुए है | यह सब प्रभु की माया का परिणाम है जो हमें इन दोनों के पृथक गुणों अवगुणों के बारे में बताता है |
आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे की कैसे राक्षस , असुर या दैत्यों की उत्पति हुई ?

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हम सभी जानते है की ब्रह्मा देव ने ही इस स्रष्टि को रचा है और इसके अपना साथ देने के लिए उन्होंने अपने मानस पुत्रो को जन्म दिया | उनमे से एक मरीचि के पुत्र थे ऋषि कश्यप | मान्यता है की कश्यप ऋषि के वंशज ही सृष्टि के प्रसार में सहायक बने है |
ऋषि कश्यप का विवाह दक्ष की 17 पुत्रियों से
कश्यप ने दक्ष प्रजापति की 17 पुत्रियों से विवाह किया जिनके नाम है अदिति, दिति, दनु, काष्ठा, अरिष्टा, सुरसा, इला, मुनि, क्रोधवशा, ताम्रा, सुरभि, सुरसा, तिमि, विनता, कद्रू, पतंगी और यामिनी |
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किस कश्यप पत्नी ने किसे जन्म दिया
अदिति से जन्मे सूर्य , दिति से जन्मे दैत्य , दनु से जन्मे दानव
काष्ठा से अश्व , अनिष्ठा से गन्धर्व , सुरसा से राक्षस
इला से वृक्ष, मुनि से अप्सरागण , क्रोधवशा से सर्प, सुरभि से गौ
महिषसरमा से श्वापद (हिंसक पशु)
ताम्रा से श्येन-गृध्र , तिमि से यादोगण (जलजन्तु) , विनता से गरुड़ और अरुण , कद्रु से नाग , पतंगी से पतंग , यामिनी से शलभ
दैत्यों के वंशज : कश्यप दिति के दो जुड़वाँ पुत्र हुए जो पर्वत के समान विशाल थे , उनके नाम हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष थे | अन्य समस्त दैत्य इन दोनों से ही उत्पन्न हुए है |
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