राम भक्त हनुमान को क्यों लगा भरत का बाण
भरत ने अपने बाण से हनुमान को क्यों घायल कर दिया था
श्रीरामचरितमानस के लंकाकाण्ड से मेघनाथ के एक दिव्य वार से लक्ष्मण बेहोश होकर धरती पर गिर पड़े और उनके प्राण संकट में आ गये | लंका के ही एक वैद ने लक्ष्मण को प्राण देने वाली संजीवनी बूटी के बारे में बताया । यह कार्य हनुमान को दिया गया पर वहा पहुँच कर हनुमान जी संजीवनी बूटी पहचान न सके और पर्वत ही उखाड़ कर ले जाने लगे। उड़ते उड़ते मार्ग में
राम जन्म भूमि अयोध्या आ गयी । आकाश में हनुमान का विशाल रूप देखकर भरत ने उसे राक्षस समझा और उन्हें तीर मार दिया।
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गिरते समय निकले जब राम का नाम
भरत का तीर वायु पुत्र श्री हनुमान को पैर पर लगा और उनके मुंह से राम राम निकलने लगा | इस तरह महा विशालकाय शरीर से राम का नाम सुनकर भरत को अपने किये पर बहुत ग्लानी हुई | उन्हें पूर्ण विश्वास हो गया की अनजाने में वे किसी राम भक्त को घायल कर चुके है | वे धरती पर पड़े हुए हनुमान के पास जाकर क्षमा याचना मांगने लगे और उनसे श्री राम के बारे में पूछने लगे | तब हनुमान ने बताया की लक्षमण के प्राण संकट में है और उन्हें जल्दी ही संजीविनी बूटी लेकर उनके पास जाना है | यह सुनकर भरत की आँखे भर आई |
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भरत के बाण पर चढ़कर पहुंचे राम के पास
भरत ने श्री राम का नाम लेकर एक बाण अपने धनुष पर चढ़ाया और हनुमान जी बोले की वे पर्वत सहित इस बाण पर बैठ जाए और शीघ ही लक्ष्मण तक पहुँच जायेंगे |
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