वरुथनी एकादशी व्रत कथा , महत्व और पूजा विधि की जानकारी
Varuthini Ekadashi Significance and Fast Story
भगवान विष्णु नारायण की पूजा अर्चना के लिए वैशाख मास के कृष्ण पक्ष मे वरुथनी एकादशी आती है जिसे करने से मन की सभी कामनाये पूर्ण होती है | इस दिन व्रत रखकर बुरी लतो जैसे जुआ खेलना , सट्टा लगाना , मांस मदिरा का पान , नशे की लत को छोड़ने का प्रण लेना चाहिए | इस व्रत को करने वाले व्रती को रात्रि में नारायण के भगवद् भजनो में जागरण करना चाहिए |
पढ़े : 2019 में कब कब है एकादशी का व्रत
वरुथनी एकादशी 2019 में कब है
इस साल 2019 वरुथनी एकादशी 30 april मंगलवार को आ रही है |

व्रत की महिमा और महत्व
धर्मराज युधिष्ठिर को श्री कृष्ण ने वरुथनी एकादशी व्रत के महत्व को बताया था जिसमे बताया गया है कि यह व्रत सभी पापो का नाश करने वाला और अंत में मोक्ष की प्राप्ति कराने वाला है | इस व्रत का फल दस हजार वर्ष किये गये तप के समान है | साथ ही इसका फल अन्नदान और कन्यादान से प्राप्त फल के बराबर बताया गया है |

वरुथनी एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में नर्मदा नदी के तट पर मांधाता नामक राजा राज्य करता था। राजन बहुत ही दानवीर और ईश्वर में आस्था रखने वाला था । एक दिन तपस्या करते समय उसके पैरो को भालू अपने मुंह में दबाकर जंगल की तरफ भागने लगा । राजा मांधाता ने तब श्री नारायण से अपनी रक्षा की विनती करी | तब भक्त की पुकार सुनकर विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से भालू को मारकर अपने भक्त की रक्षा की। भगवान विष्णु ने बताया कि पूर्व जन्मो के पापो के कारण उन्हें यह कष्ट सहना पड़ा है अत: मथुरा में मेरी वाराह मूर्ति की पूजा वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर करो। जिससे तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाये और फिर तुम अपने पैरो को प्राप्त कर सको और अंत में यह धरा छोड़कर स्वर्ग को प्राप्त कर सको | राजा ने बताये गये मार्ग के अनुसार वरुथिनी एकादशी का व्रत किया और अंत में पैरो को प्राप्त कर स्वर्ग लोक को चले गये |
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