श्याम भक्तो के फाल्गुन शुक्ल एकादशी का महत्व , उमड़ता है श्याम दर्शन के लिए लाखो का जन सैलाब
महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण को अपना शीश दान करके शीश अमरत्व का वरदान पाने वाले वीर बर्बरीक (खाटू श्याम जी ) की मान्यता आज भारत के कोने कोने में है | इन्हे शीश के दानी , हारे का सहारा आदि नामो से जाना जाता है |

साल में आने वाली सभी एकादशियो के दिन इनके मुख्य पूजन दिवस के रूप में मनाया जाता है | इन सभी एकादशियो में फाल्गुन शुक्ल एकादशी की सबसे बड़ी मान्यता है | यह श्याम बाबा से जुड़ा सबसे बड़ा दिन माना जाता है जब खाटू में 5 लाख से भी ज्यादा भक्त , श्याम बाबा के दर्शन करने आते है | 8 घंटे की लाइन में लगकर बाबा के के दर्शन उन्हें प्राप्त होते है |
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खाटू धरा से प्रकट हुआ था शीश फाल्गुन एकादशी के दिन
मान्यताओ के अनुसार फाल्गुन शुक्ल एकादशी का श्याम भक्तो के लिए महत्व अत्यंत है | इसी दिन खाटू में स्तिथ श्याम कुंड से श्याम जी का शीश प्रकट हुआ था | श्याम बाबा ने उस समय के राजा को स्वप्न में दर्शन देकर श्याम कुण्ड से शीश निकालने की बात कही थी | अत: तब से फाल्गुन शुक्ल एकादशी पर भव्य मेला हर साल खाटू धाम में भरता है | पहले यह मेला 3 दिन भरता था पर अब लाखो भक्तो के आगमन के कारण यह मेला 10 दिवसीय कर दिया गया है | मेले के अंतिम 5 दिन मंदिर 24 घंटे खुला रहता है |

नगर भ्रमण को निकलते है श्याम बाबा लीले पर सवार होकर

साल में सिर्फ एक बार खाटू श्याम जी का रथ खाटू नगरी में श्याम भक्तो के बीच ढोल नगाडो के साथ निकलता है | जगह जगह श्याम भक्त पुष्प वर्षा और श्याम जयकारो के साथ इसके दर्शन करने उमड़ते है | यह रथयात्रा फाल्गुन शुक्ल एकादशी के दिन सुबह 11 बजे मंदिर से निकाली जाती है |
फाल्गुन एकादशी का अन्य धार्मिक महत्व
इस एकादशी को रंगभरी एकादशी और आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है | इस दिन आंवले के पेड़ के रूप में विष्णु भगवान की पूजा की जाती है | इसके साथ एक मान्यता यह भी है की इस दिन भगवान शिव माँ पार्वती का गौना करवाकर काशी नगरी लाये थे | साथ ही बाबा विश्वनाथ अपने भक्तो के साथ काशी में होली खेलते है |
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