बसंत पंचमी पर सरस्वती के साथ होती है कामदेव की भी पूजा
बसंत पंचमी त्यौहार है बसंत के आगमन का स्वागत करने का | यह दिन प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य को समर्प्रित है | इस दिन से वातावरण प्रकृति के सबसे सुन्दर रूप को प्राप्त करता है | अत: प्रेम के देवता कामदेव की पूजा का महत्व बढ़ जाता है | बंसत पंचमी पर सरस्वती पूजा का अत्यंत महत्व है जिन्हें विद्या , कला और संगीत की देवी के रूप में पूजा जाता है | इसके साथ इस दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति की भी पूजा करने का भी विधान है |
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क्यों होती है इस दिन कामदेव की पूजा
कामदेव को बसंत का मित्र बताया गया है | कामदेव का धनुष इसी बसंत के पुष्पों से सजा रहता है | इस दिन कामदेव की पूजा करने से सुन्दर काया प्राप्त होती है | प्राचीन काम में राजा महाराजा अपने रथो पर विराजमान होकर वसंत पंचमी के दिन काम देव की पूजा करने जाया करते थे |
कामदेव की पूजा से प्रेम का संचार होता है वही इनकी पत्नी रति की पूजा से श्रंगार योग और आकर्षण बढ़ते है | कामदेव की इस ऋतु में मनुष्यों के शरीर में कई बदलाव होते है जिसमे एक तरह की मादकता पाई जाती है | दुसरे देशो में भी इसी समय प्रेम के त्योहार जैसे वेलेंटाइन डे आदि मनाने की परम्परा है | ऐसा भी कहा जाता है कि शिव पार्वती विवाह से पहले इसी दिन तिलकोत्सव भी हुआ था |

कामदेव पूजा में इनके नामो का जप
कामदेव की पूजा में शुद्ध होकर पीले वस्त्र पहने , मन में कामदेव और रति की प्रतिमा की छवि के का अनुभव करे कि कामदेव और रति सुन्दर उद्यान में पुष्पों के बीच प्रेम गीत गा रहे है | प्रकृति अपने सबसे सुन्दर रूप में है | दोनों का नृत्य मोदक और संसार में प्रेम और आकर्षण बढ़ा रहा है | उसके बाद ये 9 नामो का जप करे |
रागवृंत, अनंग, कंदर्प, मनमथ, मनसिजा, मदन , रतिकांत , पुष्पवान और पुष्पधंव |
कामदेव रति स्तुति मंत्र
शुभा रतिः प्रकर्तव्या वसंतोज्ज्वलभूषणा।
नृत्यमाना शुभा देवी समस्ताभरणैर्युता।।
वीणावादनशीला च मदकर्पूरचर्चिता।
कामदेवस्तु कर्तव्यो रूपेणाप्रतिमो भुवि।
अष्टबाहुः स कर्तव्यः शङ्खपद्मविभूषणः।।
चापबाणकरश्चैव मदादञ्चितलोचनः।
रतिः प्रीतिस्तथा शक्तिर्मदशक्ति-स्तथोज्ज्वला।।
चतस्रस्तस्य कर्तव्याः पत्न्यो रूपमनोहराः। चत्वारश्च करास्तस्य कार्या भार्यास्तनोपगाः।
केतुश्च मकरः कार्यः पञ्चबाणमुखो महान।
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