अजा एकादशी व्रत महत्व , कथा और पूजन विधि
अजा एकादशी व्रत महत्व
Aja Ekadashi Vrat Katha Mahtav Aur Vidhi in Hindi भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी अजा एकादशी के नाम से जानी जाती है. इस दिन की एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा का विधान होता है. इस वर्ष अजा एकादशी 6 सितंबर 2018 को मनाई जाएगी. इस दिन रात्रि जागरण तथा व्रत करने से व्यक्ति के पूर्व जन्मो सहित इस जन्म के भी पाप नष्ट होते है.
पढ़े : 2018 में एकादशी व्रत कब कब है – शुक्ल और कृष्ण पक्ष एकादशी
इस व्रत के बारे में जब कुंतीपुत्र युधिष्ठिर ने कृष्ण भगवान से पूछा तब उन्होंने राजा हरिशचन्द्र के जीवन की कथा सुनाई थी . उनके पूर्व जन्म के पापो के कारण इस जन्म में अनेको दुखो का सामना करना पड़ा फिर इस व्रत को करके उनके सभी पाप दूर हुए और अंत में वे परिवार सहित स्वर्ग लोक को प्राप्त करे .
अजा एकादशी व्रत कथा :
अजा एकादशी की कथा चक्रव्रती सम्राट राजा हरिशचन्द्र से जुडी़ हुई है. राजा हरिशचन्द्र अत्यन्त वीर और सत्यवादी और महादानी राजा थे. पूर्व जन्मो के पापो के कारण इस जन्म में उनको अनेको दुखो का सामना करना पड़ा | विधि के विधान से उनका राज्य उनके हाथ से चला गया | वचन को पूर्ण करने के लिए उन्हें अपनी पत्नी बेटे और स्वयं को भी बेचना पड़ा | वे स्वयं एक चाण्डाल के गुलाम बन गये | एक दिन उनकी भेंट गौतम ऋषि से हुई जिन्होंने हरिश्चंद्र को अजा एकादशी व्रत विधि विधान से करने का सुझाव दिया या | नुसार विधि-पूर्वक व्रत करते हैं.
हरिश्चंद्र ने बताये गये पथ के अनुसार भगवान विष्णु के लिए यह व्रत पुरे मन से किया | इस व्रत के प्रभाव से उनके समस्त पाप नष्ट हो गये और उनका राज्य भी उन्हें फिर से मिल गया | जो मनुष्य इस व्रत को विधि-विधान पूर्वक करते है. तथा रात्रि में जागरण करते है. उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते है. और अन्त में स्वर्ग जाते है. इस एकादशी की कथा के श्रवण मात्र से ही अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है.
पूजन विधि – अजा एकादशी पर
दशमी तिथि के दिन से ही पूर्ण ब्रह्माचार्य का पालन करना चाहिए | अगले दिन एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर अपने नित्य कर्म पूर्ण कर ले |
भगवान विष्णु का दरबार सजाकर सामने घी का दीपक जलाये , फलों तथा फूलों से भक्तिपूर्वक पूजा करे । विष्णु भगवान की पूजा में जरुरी चीजे जैसे शंख , पीले वस्त्र , तुलसी पत्ते आदि जरुर काम में ले | अजा एकादशी व्रत का संकल्प ले और अजा एकादशी व्रत की कथा सुने | फिर भगवान की पूजा के बाद विष्णु सहस्रनाम अथवा गीता का पाठ करना चाहिए | इस दिन निर्जल रहे और अगले दिन द्वादशी पर ही एकादशी व्रत का पारण करे |
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बहुत ही सुन्दर जानकारी एकादशी के बारे में।
धन्यवाद।