कैसे और क्यों लुप्त हुई पवित्र सरस्वती नदी
सरस्वती नदी लुप्त होने का रहस्य
माना जाता है कि प्रयाग में त्रिवेणी का संगम होता है। त्रिवेणी यानी तीन पवित्र नदियां, गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन | उस जगह सब गंगा और यमुना को देखते हैं पर सरस्वती नदी दिखाई नही देती | इसको लेकर भ्रम है की क्या वास्तव में सरस्वती नही अब नही रही | यह तो सर्वविदित है की इस नदी का पहले तो अस्तित्व था पर कालांतर में यह गायब हो गयी है | कुछ लोगो का मानना है की आज भी सरस्वती प्रयाग तीर्थ स्थल में अद्रश्य रूप से मिलती है | आइये जानते है इस धार्मिक नदी से जुडा रहस्य :-
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क्या त्रिवेणी में संगम है तीन नदियों का
यह शोध का विषय है कि क्या सचमुच सरस्वती कभी प्रयाग पहुंचकर गंगा या यमुना में मिली? अगर नहीं तो त्रिवेणी को संगम क्यों कहा जाता है। धर्म और संस्कृत ग्रंथों के अनुसार सरस्वती नदी का अस्तित्व था और इसे भारत की पवित्र धार्मिक नदियों में स्थान भी प्राप्त था |ऋग्वेद में सरस्वती नदी को ‘यमुना के पूर्व’ और ‘सतलुज के पश्चिम’ में बहती हुई बताया गया है।| एक पौराणिक कथा के अनुसार गंगा सरस्वती और लक्ष्मी ने एक दुसरे को श्राप दिया जिससे तीनो नदियाँ बन गयी |
महाभारत में हुई लुप्त
महाभारत में भी सरस्वती नदी का उल्लेख है इसी काल में यह लुप्त हुई | इसे इस काल में वेदस्मृति, वेदवती और प्लक्षवती नदी के नाम से जाना जाता था | जिस जगह यह गायब हुई उसे विनाशना अथवा उपमज्जना का नाम दिया गया।
ऐसा प्रतीत होता है कि पृथ्वी की संरचना आंतरिकी में हुए बदलाव के चलते सरस्वती भूमिगत हो गई और यह बात नदी के प्रवाह को लेकर आम धारणा के काफी करीब है।
यह तो सभी जानते है की पृथ्वी पर बार बार भौगोलिक आपदाये आती रहती है जिससे नदियों का गायब होना , पहाड़ो का बनना होता रहता है | हिमालय जिस स्थान पर है पहले वहा भी जल मंडल था |
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