स्वामी हरिदास जी महाराज
स्वामी हरिदास जी का जीवन परिचय
श्री बांकेबिहारीजी महाराज के साथ यदि किसी का नाम अमर हुआ है तो वो है कृष्णोपासक सखी संप्रदाय के प्रवर्तक स्वामी हरिदास जी महाराज | वे कृष्ण के परम भक्त , कवि और संगीतकार थे | इनके कृष्ण की सखी ललिता का अवतार माना जाता है |
श्री बांकेबिहारीजी महाराज को वृन्दावन में प्रकट करने वाले स्वामी हरिदासजी का जन्म विक्रम सम्वत् 1535 में भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी (श्री राधाष्टमी) के ब्रह्म मुहूर्त में हुआ था। हरिदास जी का व्यक्तित्व बड़ा ही विलक्षण था। वे बचपन से ही एकान्त-प्रिय थे। उन्हें अनासक्त भाव से भगवद्-भजन में लीन रहने से बड़ा आनंद मिलता था। हरिदासजी का कण्ठ बड़ा मधुर था और उनमें संगीत की अपूर्व प्रतिभा थी। धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई। उनका गांव उनके नाम से विख्यात हो गया। हरिदास जी का विवाह हरिमति नामक परम सौंदर्यमयी एवं संस्कारी कन्या से हुआ | किंतु स्वामी हरिदास जी का प्रेम तो सिर्फ कान्हा के लिए था | उन्होंने गृहस्थ जीवन को छोड़ दिया और अपने प्रेम कृष्ण के दर्शन के लिए रात दिन भक्ति करने लगे |
वृन्दावन आकर की तपस्या
1560 में 25 वर्ष की अवस्था में हरिदासजी वृन्दावन पहुंचे। उन्होंने वृन्दावन के निधिवन जहा रास रचाते है कृष्ण को अपनी तपोस्थली बनाया। हरिदास जी निधिवन में सदा श्यामा-कुंजबिहारी के ध्यान तथा उनके भजन में तल्लीन रहते थे। स्वामीजी ने प्रिया-प्रियतम की युगल छवि श्री बांकेबिहारीजी महाराज के रूप में प्रतिष्ठित की। हरिदासजी के ये ठाकुर आज असंख्य भक्तों के इष्टदेव हैं। वैष्णव स्वामी हरिदास को श्रीराधा का अवतार मानते हैं। श्यामा-कुंजबिहारी के नित्य विहार का मुख्य आधार संगीत है। उनके रास-विलास से अनेक राग-रागनियां उत्पन्न होती हैं। । बैजूबावरा और तानसेन जैसे विश्व-विख्यात संगीतज्ञ स्वामी जी के शिष्य थे। मुग़ल सम्राट अकबर उनका संगीत सुनने के लिए रूप बदलकर वृन्दावन आया था। विक्रम सम्वत 1630 में स्वामी हरिदास का निकुंजवास निधिवन में हुआ।
वृन्दावन का प्रसिद्ध मंदिर बांके बिहारी :
कृष्ण और राधे के प्रेम की नगरी वृन्दावन में बहुत सारे दर्शनीय स्थल और मंदिर है पर उसमे से एक है मोहित कर सुध लेने वाला बांके बिहारी मंदिर | मान्यता है की कोई भी भक्त यहा के आराध्य देव की आँखों में लगातार देख नही सकता | यदि वो ऐसा करता है तो वो दिव्य दर्शन करके इस मोह माया रूपी संसार से विरक्त हो जाता है | बांके बिहारी कृष्ण और राधे के मिश्र रुप के दर्शन है |
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